नियमों के चलते मंत्रिपरिषद का आकार सीमित
दरअसल, साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान में सरकार के मंत्रिमंडल के आकार को लेकर एक व्यवस्था की थी। इससे पहले देश और राज्य में जितनी भी सरकारें थीं, उस दौरान ऐसा कोई प्रावधान नहीं लागू होता था। हालांकि, 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा मंत्रिपरिषद के आकार को सीमित कर दिया गया।
तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने साल 2003 में संविधान का 91वां संशोधन किया। इस संशोधन के जरिये मंत्रिमंडल का आकार 15 फीसदी तक सीमित कर दिया गया। इसी के आधार पर केंद्र और राज्य कैबिनेट में सदस्यों की संख्या तय करनी होती है।
पहले 15 से 35 प्रतिशत तक होते थे मंत्री
इससे पहले मंत्रिमंडल के आकार को लेकर कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके लागू होने से पहले देश के अलग-अलग राज्यों में सरकारें थीं, जहां मंत्रियों की संख्या 15 से 35 प्रतिशत थी। 91वां संशोधन लागू होने से पहले साल 2003 में यूपी सरकार में लगभग 90 से अधिक मंत्री थे। बिहार में 80 से अधिक, महाराष्ट्र में 65 से अधिक, पश्चिम बंगाल में 40 से अधिक और आंध्र प्रदेश में भी इतने ही मंत्रियों की संख्या थी।
केजरीवाल सरकार में भी थे 5 कैबिनेट मंत्री
बता दें कि मार्च 2003 में संविधान का 91वां संशोधन लागू हुआ था। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री आतिशी के अलावा सिर्फ पांच कैबिनेट मंत्री शामिल किए गए हैं। इससे पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार में भी उनके अलावा पांच नेताओं को ही कैबिनेट में जगह दी गई थी।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)