पुलिस की रिपोर्ट कहती है कि उसने संबंधित टेंडर से जुड़े दस्तावेज डीडीए से जब्त किए हैं। उनसे मालूम चला कि डीडीए के संबंधित ठेकेदार को काम के दौरान सभी सुरक्षा उपाय करने का निर्देश दिया गया था। हाल ही में बनाई गई सड़क और जीओ हॉस्पिटल से खोड़ा चौक (आंबेडकर गेट) तक के नाले का काम डीडीए के एक ठेकेदार ने किया था, जिसका नाम जसविंदर पाल सिंह है और वह कालकाजी से है।
सही तरीके से नहीं ढंका गया था नाला
पुलिस के मुताबिक, उसने डीडीए कॉन्ट्रैक्टर से पूछताछ की और उसे स्पॉट पर लेकर भी गई। डीडीए के रिकॉर्ड के हवाले से पुलिस ने कोर्ट को बताया कि 23 जुलाई, 2024 को नाले का काम पूरा हो गया था। पुलिस ने कहा कि जब्त दस्तावेजों, तस्वीरों और पब्लिक विटनेस के बयानों से यह स्थापित हुआ है कि नाला नवनिर्मित है और ठेकेदार ने उसे उचित तरीके से ढका नहीं था। डीडीए के अधिकारी अपने ठेकेदार से हुई इस गलती को पकड़ने में चूक गए। पुलिस के मुताबिक, 1 अगस्त को क्राइम टीम द्वारा ली गई तस्वीरों से जाहिर होता है कि नाले के ऐसे कई हिस्सों को खुला छोड़ दिया गया था।
पुलिस ने रिपोर्ट में साफ शब्दों में कहा कि अब तक की जांच से यही स्थापित हुआ है कि डीडीए कॉन्ट्रैक्टर जसविंदर पाल सिंह की ओर से आपराधिक लापरवाही हुई। उसे 11 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके सुपरवाइजर, तहेदुल रहमान उर्फ ताहिर को भी 19 अगस्त को गिरफ्तार किया गया है।
आपराधिक लापरवाही
जहां तक डीडीए की ओर से आपराधिक लापरवाही का सवाल है, तो पुलिस के मुताबिक, अथॉरिटी के जूनियर इंजीनियर(JE) की जिम्मेदारी थी कि वह नियमित रूप से और असिस्टेंट इंजीनियर(AE) की जिम्मेदारी पीरियोडिक बेसिस पर इस निर्माण कार्य को सुपरवाइज करने की थी। हालांकि, डीडीए द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज पुलिस के सामने पेश नहीं किया गया, जिससे पता चले कि इन दोनों ने कभी अपने ठेकेदार से इस पर कोई सवाल पूछा हो या आपत्ति दर्ज कराई हो।
JE और AE जांच में शामिल
पुलिस के मुताबिक, JE और AE जांच में शामिल हुए हैं। उन्हें BNSS की धारा 35(3) के तहत नोटिस दिया गया है और उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए जरूरी मंजूरी ली जा रही है। डीसीपी गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि डीडीए और एमसीडी से जरूरी दस्तावेज जब्त किए गए हैं और उसे इस केस की जांच पूरी करने में एक महीने का समय लगेगा।