अल-फलाह ग्रुप के 25 ठिकानों पर ईडी ने मंगलवार सुबह बड़ी कार्रवाई की। शेल कंपनियों के इस्तेमाल और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के तहत यह तलाशी अभियान चलाया गया।

सुबह पांच बजे से छापेमारी
ED के सूत्रों ने बताया कि सुबह सवा 5 बजे के करीब सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि आतंकवादी घटना में ‘अल-फलाह ट्रस्ट और इससे जुड़ी इकाइयों की भूमिका जांच के दायरे में है। फाइनैंस और एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े प्रमुख लोगों की भी जांच की जा रही है। इस ग्रुप से जुड़ी 9 शेल कंपनियों की जांच भी हो रही है, जिनका रजिस्ट्रेशन एक ही पते पर कराया गया है।’
शुरुआती जांच में आया सामने
सूत्रों ने बताया, ‘शुरुआती जांच में रिस्क से जुड़े कई संकेत मिले हैं। इनमें शेल कंपनियों की हरकत भी शामिल है। इनके बिजनेस की जो जगहें बताई गई हैं, वहां इनकी न तो कोई फिजिकल मौजूदगी है और न ही कोई खास यूटिलिटी कंजम्पशन दिख रहा है।’
कॉलेज के हिसाब खिताब में हेर फेर
सूत्रों ने बताया, ‘विभिन्न कंपनियों और अकाउंट्स के लिए कॉमन मोबाइल नंबर और ईमेल का इस्तेमाल होता पाया गया है। साथ ही, जिस तरह का कामकाज बताया गया है, उसके मुताबिक EPFO/ESIC फाइलिंग्स भी नहीं हैं।’
KYC ट्रेल भी ठीक नहीं
सूत्रों ने बताया, ‘कई डायरेक्टर एक से अधिक कंपनियों में हैं और इनमें KYC ट्रेल भी ठीक नहीं है। बैंकिंग चैनल के जरिए सैलरी देने का काम भी बहुत कम हुआ है और HR रेकॉर्ड्स नहीं हैं। इन सभी फर्मों के खोले जाने का पैटर्न लगभग एक जैसा है और कॉन्ट्रैक्ट कोऑर्डिनेट भी कॉमन हैं।’
गृह मंत्री की मीटिंग में लिया गया था फैसला
सूत्रों ने बताया कि शुरुआती जांच में यह भी पाया गया है कि UGS और NAAC मान्यता से जुड़े दावों में विसंगतियां हैं। इन सभी पहलुओं की जांच संबंधित अधिकारियों के साथ की जा रही है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 13 नवंबर को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में फैसला किया गया था कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी के सभी दस्तावेजों का फॉरेंसिक ऑडिट होगा और एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट भी इसके वित्तीय लेनदेन की जांच करेगा।
अल फलाह यूनिवर्सिटी एक प्राइवेट संस्था है और इसके कैंपस में एक अस्पताल भी है। आतंकी घटना को अंजाम देने का आरोप जिस डॉक्टर उमर नबी पर है, वह इसी यूनिवर्सिटी में काम करता था। उसके दो साथी डॉक्टर मुजम्मिल शकील और शाहीन शाहिद भी इसी अस्पताल में काम करते थे।
