दिल्ली हाई कोर्ट ने अवैध निर्माण की शिकायतों के नाम पर वसूली करने वाले एक छोले-भटूरे विक्रेता अनिल लोधी पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने दिल्ली बार काउंसिल को वकील बाबू लाल गुप्ता के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जो इस वसूली में शामिल थे।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कही ये बात
मामले को चौकाने वाला बताते हुए कोर्ट ने कहा कि एक ओर, अदालत को अनधिकृत निर्माणों के मामलों से सख्ती से निपटना होता है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे निर्माण करने वाले व्यक्तियों से धन उगाही करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग न करे। कोर्ट ने कहा कि अदालत के सामने होने वाली कार्यवाही न्याय के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए एक गंभीर प्रक्रिया है, न कि कुछ व्यक्तियों के गैरकानूनी मंसूबों में मदद करने के लिए।
बार काउंसिल को दिए निर्देश
जस्टिस मिनी पुष्करणा ने दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) को निर्देश दिया कि वह कथित एनजीओ ‘ग्रीन गोल्ड अर्थ ऑफ वर्ल्ड’ के साथ एडवोकेट बाबू लाल गुप्ता और यहां याचिकाकर्ता (अनिल लोधी) की साफ मिलीभगत को लेकर सामने आए तथ्यों के आधार पर वकील के आचरण की जांच करे और नियमों का उल्लंघन साबित होने पर जरूरी कार्रवाई करे।
हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला
हाई कोर्ट ने जिन तीन याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया, वे सभी आजाद मार्केट आरडब्ल्यूए (रजि.) द्वारा दायर की गई थीं, जिनमें प्रतिवादियों को रोशनारा रोड और रानी झांसी रोड, झंडेवालान स्थित कुछ दुकानों में किए जा रहे अवैध और अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने की मांग की गई, लेकिन तथ्यों की जांच करने पर याचिकाकर्ता आजाद मार्केट आरडब्ल्यूए के जनरल सेक्रेटरी अनिल लोधी और उनके वकील बाबू लाल गुप्ता की कलई कोर्ट के सामने खुल गई। लोधी को उक्त एनजीओ का ट्रस्टी भी बताया गया था।
जांच में खुलासा
कोर्ट ने गौर किया कि इस व्यक्ति ने इस वकील के जरिए ऐसे कई केस दाखिल कर रखे हैं और सभी मामले अलग अलग जगहों पर अनधिकृत निर्माण के बारे में हैं। ऐसे ही एक मामले में रोहिणी कोर्ट से 2019 में पारित एक जजमेंट के हवाले से कोर्ट ने कहा कि इससे पता चलता है कि अनिल लोधी न केवल बिजली चोरी के मामले में शामिल था, बल्कि उसे एनडीपीएल/बीएसईएस यमुना के अधिकारी को वेश धरकर जबरन वसूली में शामिल होने के लिए दोषी भी ठहराया गया था। वकील की जांच कराने पर पता चला कि रोहिणी कोर्ट परिसर में उसे जो चैबर आवंटित है, वो बाहर से तो ज्यादातर समय बंद रहता है, पर उसके पते पर उक्त आरडब्ल्यए और एनजीओ चल रहे हैं।
