छज्जू राम बाग में पेड़ों की अवैध कटाई पर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वन विभाग की कार्रवाई को अपर्याप्त माना। ट्रिब्यूनल ने ठेकेदार द्वारा केवल 9 लाख रुपये का जुर्माना भरने और कम पेड़ लगाने पर सवाल उठाया, क्योंकि यह नियमों के विरुद्ध था।

क्या है मामला
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और एग्जीक्यूटिव मेंबर डॉ. ए सेंथिल वेल की बेंच विजेंद्र यादव के लेटर पर इस आरोप की जांच कर रही थी कि अननराज लिमिटेड बिल्डर ने छज्जू राम बाग में कई पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया और एक गोदाम और व्यावसायिक गोदाम बनाया। मामले में डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर ने 27 मार्च को रिपोर्ट पेश की।
अवैध रूप से काटे गए इतने पेड़
उसे देखने पर ट्रिब्यूनल ने किहा कि हलफनामे से पता चलता है कि कम से कम 15 पेड़ों की अवैध कटाई की गई थी और ठेकेदार नितिन कुमार (सिविल) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। हलफनामे में यह भी बताया गया कि दिल्ली वृक्ष निवारण अधिनियम, 1994 के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी और नितिन कुमार ने अपराध को स्वीकार करते हुए उसकी भरपाई के लिए अपनी मंजूरी दी। प्रति पेड़ 60,000 रुपये की दर से कुल 9 लाख रुपये का उन पर जुर्माना लगाया गया।
क्या कहता है नियम
इस कार्रवाई से असंतुष्ट ट्रिब्यूनल ने कहा कि अवैध रूप से काटे गए पेड़ों से मिली लकड़ी का मूल्य बताया नहीं गया है, यदि मूल्य 60,000 रुपये प्रति पेड़ से ज्यादा था, तो उल्लंघनकर्ता वास्तव में पेड़ को अवैध रूप से काटकर और कम राशि का भुगतान करके फायदे में है। हलफनामे के हवाले से ट्रिब्यूनल ने कहा कि 15 पेड़ों की अवैध कटाई के बदले केवल 30 पेड़ों का प्रतिपूरक वृक्षारोपण किया गया है। जबकि, सामान्य फॉर्मुला एक पेड़ की कटाई के बदले कम से कम 10 पेड़ों का वृक्षारोपण है। हलफनामे में पेड़ों की अवैध कटाई के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए किसी भी पर्यावरणीय मुआवजे के आकलन का भी खुलासा नहीं किया गया है।
नोटिस जारी कर मांगा जवाब
इन टिपण्णियों के साथ ट्रिब्यूनल ने संबंधित ठेकेदार को मामले में प्रतिवादी के तौर पर शामिल किया और उसे नोटिस जारी कर जवाब मांगा। आदेश में उठाए गए सवालों का जवाब देने के लिए वन विभाग के अधिकारी ने चार हफ्तों का समय मांगा। मामले में अगली सुनवाई 29 अक्टूर, 2025 को होगी।