दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उम्र पूरी कर चुकी गाड़ियों पर बैन के खिलाफ रेखा गुप्ता सरकार ने सर्वोच्च अदालत पहुंची है। आखिर मामला क्या है और इस याचिका पर सुनवाई कब होगी जानिए।

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 29 अक्टूबर, 2018 के आदेश को वापस लेने की मांग की है। उस आदेश में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फैसले को सही ठहराया गया था। अब सरकार चाहती है कि कोर्ट इस मामले पर दोबारा विचार करे। सरकार का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। इससे निपटने के लिए एक अच्छी नीति की जरूरत है। सरकार का मानना है कि सिर्फ गाड़ियों की उम्र के आधार पर उन पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है।
सरकार का कहना है कि वाहनों से निकलने वाले धुएं की जांच होनी चाहिए। जो वाहन ज्यादा धुआं छोड़ते हैं, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। इससे प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले एनसीआर के आसपास के राज्यों को निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह फैसला NGT के आदेश के अनुसार था।
अदालत ने यह भी कहा था कि ओवरएज गाड़ियां जहां कहीं भी नजर आएंगी, उनके खिलाफ एक्शन होगा। संबंधित प्राधिकारी मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों के अनुसार गाड़ियों को जब्त करेंगे और कानून के अनुसार उचित कदम उठाएंगे। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति पुराने वाहन चलाता हुआ पाया जाता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उसके वाहन को भी जब्त किया जा सकता है।
NGT ने 26 नवंबर, 2014 को एक आदेश दिया था। उस आदेश में कहा गया था कि 15 साल से पुराने वाहनों को सार्वजनिक जगहों पर खड़ा नहीं किया जा सकता। अगर ऐसे वाहन कहीं खड़े हुए मिलते हैं, तो पुलिस उन्हें उठाकर ले जाएगी। यह नियम सभी तरह की गाड़ियों पर लागू होता है फिर चाहे वे टूव्हीलर हों, चार पहिया या भारी वाहन हों। दिल्ली सरकार का मानना है कि पुराने वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना सही नहीं है. सरकार चाहती है कि कोर्ट इस मामले पर दोबारा विचार करे और प्रदूषण को कम करने के लिए कोई और बेहतर तरीका खोजे। अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला लेता है