दिल्ली के 50 पार्कों के ऑडिट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पार्कों का तापमान कंक्रीट क्षेत्रों से 10 डिग्री तक कम पाया गया।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंक्रीट इलाकों और पार्कों के तापमान में औसत 10 डिग्री का अंतर पाया गया है। एक मामले में कंक्रीट जोन का तापमान 53.3 डिग्री तक पहुंच गया, जबकि उसी इलाके के पार्क के पेड़ों से घिरे हिस्से का तापमान 35 डिग्री मिला।
पार्कों में सुविधाओं की कमी
तापमान में इस बड़े अंतर के बावजूद रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 10 में से 8 पार्कों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। किसी भी पार्क में पक्षियों को गर्मी से बचाने को घोंसले या बर्डहाउस की व्यवस्था नहीं है। यह ऑडिट इस मकसद के साथ किया गया था कि तेज गर्मी के महीनों दौरान राजधानी के हरे भरे पार्क लोकल लोगों, जानवरों और पक्षियों के लिए कितने तैयार हैं?
शहरी वन और पार्क सजावटी नहीं
रिपोर्ट अनुसार राजधानी के 25 फीसदी हिस्से में हरे-भरे इलाके हैं। इसमें से अधिकांश पार्क महज पांच जिलों तक ही सीमित हैं। इससे शहर के बड़े हिस्से, खासकर कम आय और भीड़भाड़ वाले इलाकों में हरे-भरे पार्कों तक पहुंच बहुत ही सीमित रह जाती है। यह असमानता और शहर के जंगल को कंक्रीट से भरना भी राजधानी में गर्मी को और बढ़ाता है। ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर आकिज फारूक के अनुसार ऐसे समय में जब गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है, राजधानी अपने वनों और पेड़ों को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती। शहरी वन और पार्क सजावटी नहीं, बल्कि जीवन बचाने का बनियादी ढांचा हैं।
पार्क कोई विलासिता नहीं
COHAS की ऑडिट टीम की सदस्य प्रियंका ने कहा कि हमने यह ऑडिट गर्मी में इसी वजह से किया क्योंकि हम समझना चाहते थे कि लोग इस समय क्या झेल रहे हैं। कई कम आय वाले मोहल्लों में रात तक गर्मी रहती है। अधिकतम पार्क बंद रहते हैं। इससे हमें यह अहसास हुआ कि पार्क कोई विलासिता नहीं, बल्कि जीवन को बचाने का ढांचा है। हमने देखा कि पेड़ों की जड़ें सीमेंट से घिरी थीं और पीने के पानी के इंतजाम नहीं थे।