सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने पूठ कलां गांव की रहने 6 साल की छवि को कुत्ते ने बुरी तरह काट लिया था। 25 दिन बाद इलाज के दौरान छवि की अस्पताल में मौत हो गई थी। उसकी मां मंजू शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उनकी समझ से बाहर है।

नया फैसला समझ से बाहर
कोर्ट के पहले के आदेश ने उन्हें थोड़ी राहत दी थी। फैसले के तुरंत बाद इलाकों से कुत्तों को पकड़ने का सिलसिला शुरू हुआ था, लेकिन नए फैसले में फिर से यह कहा गया है कि उन कुत्तों का वैक्सीनेशन करने के बाद दोबारा यही छोड़ दिया जाएगा। यह कौन तय करेगा कि किस कुत्ते में रेबीज है और किस में नहीं। हमारे पास तो इतना ताकत भी नहीं है कि हम किसी फैसले का विरोध कर सके या सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जता सकें। जो डॉग प्रेमी है, वह बड़े लोग हैं। बड़ी-बड़ी गाड़ियों में चलते हैं। बड़े-बड़े संस्थाओं तक उनकी पहुंच है।
मासूम बच्ची को कुत्ते ने बुरी तरह काट लिया था
मेरी बेटी घर में सबसे छोटी थी। वह आज इस दुनिया में नहीं है, जिसकी वजह स्ट्रीट डॉग है। इसके साथ ही वह अस्पताल भी इतना ही कसूरवार है, जिन्होंने सही से शुरुआती इलाज नहीं किया। आज मेरे लिए कोई संस्था खड़ा नहीं है, जो मेरी बात और मेरा विरोध ऊंचे स्वर में उठा सके। हां यहां पास में ही रहने वाले एक भैया है। वह मेरे लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मुझे नहीं पता कि वह लड़ाई कब तक और कहां तक चलेगी। हमने कोर्ट का भी रुक किया है। अभी तक एमसीडी या सरकार की तरफ से कोई आर्थिक मदद तक नहीं दी गई है। कुत्तों का वैक्सीनेशन हो यह अच्छी बात है, लेकिन कैसे होगा और किस स्तर पर होगा और यह कैसे डिसाइड होगा।
