दिल्ली हाईकोर्ट 2 सितंबर को दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की पीठ ने पहले ही अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इन आरोपियों की जमानत याचिका मामले पर भी होगी सुनवाई
अब्दुल खालिद, अतहर खान, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शादाब अहमद की जमानत याचिका पर भी अदालत अपना फैसला सुनाएगी। बता दें कि ये आरोपी लंबे समय से जेल में बंद हैं।
एसजी तुषार मेहता ने जमानत का किया था विरोध
बता दें कि उस समय सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने दलील दी थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े यूएपीए मामलों में मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती है। वहीं, अभियुक्तों के वकील ने कहा कि मुकदमा बहुत लंबा खिंच गया है और अभी तक आरोप भी तय नहीं हुए हैं। मामला अभी आरोपों पर बहस के स्तर पर ही है।
शरजील इमाम पर कई गंभीर आरोप
एसजी तुषार मेहता के मुताबिक शरजील इमाम पर आरोप है कि उसने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था कि हम चिकन नेक (उत्तर पूर्व) को शेष भारत से हमेशा के लिए अलग कर सकते हैं। अगर हमेशा के लिए नहीं, तो कम से कम एक महीने के लिए. शरजील ने अपने एक कथित सीएए विरोधी भाषण में यह भी कहा था कि आप असम में मुसलमानों की स्थिति से वाकिफ हैं। शरजील इमाम ने अपने भाषण में कथित तौर पर कहा था कि जब तक 100-200 लोग नहीं मरेंगे, तब तक कुछ नहीं होगा। शरजील पर और भी कई गंभीर आरोप हैं।
उमर खालिद पर क्या आरोप थे
उमर खालिद को दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस ने ‘मास्टरमाइंड’ के तौर पर गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि उमर खालिद को जहांगीरपुरी से जंतर-मंतर तक लोगों की जरूरत थी, जिन्हें फिर शाहीन बाग में पहुंचाया गया। फिर उन्हें जाफराबाद मेट्रो स्टेशन ले जाया गया और पथराव के लिए महिलाओं का इस्तेमाल किया गया।
उमर खालिद के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और आईपीसी के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हुए थे। सीएए और एनआरसी के विरोध में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।