दिल्ली ब्लास्ट केस में केंद्र सरकार ने सीनियर एडवोकेट माधव खुराना को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है। खुराना एनआईए और दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले की पैरवी करेंगे। उनकी नियुक्ति तीन साल या मुकदमे के पूरा होने तक, जो भी पहले हो तक रहेगी।

आदेश में कहा गया है कि खुराना को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष मुकदमे की पैरवी करने और अन्य न्यायिक कार्यों के लिए एनआईए की ओर से तीन साल के लिए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त किया गया है।
एनआईए स्पेशल कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट में करेंगे पैरवी
संयुक्त सचिव अरविंद खरे द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम, 2008 की धारा 15 की उप-धारा (1) (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 18 की उप-धारा (8) के साथ पढ़ा जाए) में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार वरिष्ठ अधिवक्ता माधव खुराना को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करती है, ताकि वह एनआईए मामले में एनआईए विशेष अदालत तथा दिल्ली उच्च न्यायालय में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण की ओर से मुकदमे की पैरवी और अन्य संबंधित कार्यों का संचालन कर सकें।”
तीन साल के लिए नियुक्ति
आदेश में कहा गया है, ”यह नियुक्ति इस अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से तीन वर्ष की अवधि तक या उक्त मामले के मुकदमे के पूर्ण होने तक, जो भी पहले हो, प्रभावी रहेगी। एनआईए ने लाल किले के पास हुए विस्फोट के मामले में अब तक सात मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें कथित आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी ने हुंदै आई20 कार के अंदर एक आईईडी का उपयोग करके खुद को उड़ा लिया था।
वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़ा मामला
यह मामला उस ‘सफेदपोश’ आतंकवादी मॉड्यूल से जुड़ा है, जिसका पर्दाफाश जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किया था। उमर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले का निवासी था और हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय के सामान्य चिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत था। एनआईए ने उमर के एक अन्य वाहन को भी जब्त किया है, जिसकी मामले में साक्ष्य जुटाने के लिए जांच की जा रही है। एजेंसी इस मामले में अब तक 73 गवाहों के बयान दर्ज कर चुकी है, जिनमें विस्फोट में घायल लोग भी शामिल हैं।
