दिल्ली सरकार ने धूल प्रदूषण से निपटने हेतु ‘ब्रेथ ऑफ चेंज’ वर्कशॉप आयोजित की। इसमें 170 से अधिक इंजीनियरों को ‘कंप्लीट स्ट्रीट्स’ कॉन्सेप्ट के तहत सड़क पुनर्विकास और धूल नियंत्रण तकनीकें सिखाई गईं। यह पहल कचरा जलाने व वाहनों के धुएं को कम करने में भी सहायक है।

एजेंसियों के स्टाफ को दी गई ट्रेनिंग
इसमें 15 सरकारी एजेंसियों के 170 से ज्यादा इंजिनियर और टेक्निशियन शामिल हुए। इन्हें रोड रिडेवलपमेंट के साथ धूल नियंत्रण की नई तकनीक और तरीके सिखाए गए। इस मौके पर पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह कार्यक्रम बहुत अहम है क्योंकि जमीन पर इन योजनाओं को लागू करने वाले अधिकारियों को ट्रेनिंग देना जरूरी है, क्योंकि किसी भी योजना की सफलता उसके सही अमल पर निर्भर करती है।
लोगों से लगातार कर रहे संवाद
मंत्री ने कहा कि हम लगातार सभी हितधारकों जैसे सरकारी एजेंसियों, स्वतंत्र संस्थानों, एनजीओ, एक्सपर्ट्स, स्टूडेंट्स और आम जनता से संवाद कर रहे हैं। कार्यशाला में कंप्लीट स्ट्रीट्स बनाने के लिए तकनीकी ढांचे पर फोकस किया गया। इसमें इंटरसेक्शन, खाली जमीन और जल स्रोतों का टोपोग्राफिकल सर्वे, सतह की जांच और लेवल का आकलन, यूटिलिटी सर्वे, वेजिटेशन सर्वे, सीएक्यूएम गाइडलाइंस पर आधारित मानक डीपीआर करने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया।
इस मॉडल को अपनाने में मिलेगी मदद
सीएक्यूएम रिसोर्स लैब ने इस कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई। यहां अधिकारियों को बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा करने और एनसीआर शहरों के इंजिनियरों और स्टेकहोल्डर्स को ट्रेनिंग देने का मौका मिला। यह लैब आगे भी एनसीआर शहरों को सस्टेनेबल रोड डिवेलपमेंट मॉडल अपनाने में मदद करेगी।
सीएक्यूएम से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस पहल पर सीएक्यूएम से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। यह कार्यशाला प्रदूषण घटाने के लिए हमारी कई वैज्ञानिक पहलों में से एक है। कंप्लीट स्ट्रीट्स का ढांचा सिर्फ धूल नियंत्रण ही नहीं बल्कि कचरा जलाने, गाड़ियों के धुएं को कम करने और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है। कार्यशाला का समापन आधे दिन की आईईसी एक्टिविटी के साथ हुआ। इसमें मॉक ऑडिट किए और महानगर पर आधारित एक्शन प्लान बनाने के लिए रियल टाइम फ्रेमवर्क तैयार किया गया।
