दिल्ली में यमुना नदी को साफ करने के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजना शुरू हुई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और दिल्ली सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। यमुना में प्रदूषण कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने बताया कि यूआरएमपी को एक जीवंत दस्तावेज के रूप में कार्य करना चाहिए, न कि केवल एक नीति रिपोर्ट के रूप में। अधिकारी ने कहा, ”इसमें वैज्ञानिक समझ, जोखिम-आधारित आकलन और सभी हितधारकों की मजबूत भागीदारी के माध्यम से कार्रवाई का मार्गदर्शन होना चाहिए।”
गौरतलब है कि दिल्ली में यमुना की लंबाई लगभग 22 किलोमीटर है, लेकिन करीब 75% प्रदूषण यहीं से आता है। मुख्यतः अनट्रीटेड सीवेज, औद्योगिक कचरा, प्लास्टिक, पूजा सामग्री और घरों से निकलने वाला कचरा इसके प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। अब सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इसे फिर से जीवन देने के लिए मिशन मोड में काम शुरू किया है। हालांकि यह योजना मुख्य रूप से गंगा के लिए थी, लेकिन इसकी कई शाखाएं यमुना से भी जुड़ी हैं, और इसके तहत यमुना की कुछ परियोजनाओं को शामिल किया गया।
क्या है दिल्ली सरकार की यमुना सफाई योजना?
हाल के वर्षों में दिल्ली सरकार ने “यमुना को 2025 तक साफ करने” का वादा किया है। इसके तहत:
- 16 बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स बनाए जा रहे हैं।
- औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी बढ़ाई गई है।
- यमुना किनारे झुग्गियों को हटाकर हरित पट्टी बनाई जा रही है।
- फव्वारे और एरेटर मशीनें लगाकर ऑक्सीजन स्तर बढ़ाने का प्रयास।
- ड्रोन और सैटेलाइट मॉनिटरिंग के ज़रिए जल गुणवत्ता की निगरानी।