दिल्ली पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है और मामले को लापरवाही से मौत की धाराओं में दर्ज करके जांच कर रही है। हादसे के बाद से मकान मालिक अनीस और गोदाम का मालिक इकराम फरार हैं। इकराम सुंदर नगरी इलाके में ही रहता है। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इकराम अवैध रूप से यहां पर सीएनजी गैस सिलिंडर मरम्मत का काम करता है। इसके चलते इलाके में गैस की बदबू फैलने से भी लोगों को परेशानी होती थी।
जानकारी के अनुसार मृतक साकिब और अब्बास पिता अफसार, मां शबाना और बड़े भाई रजा के साथ चार मंजिला मकान की पहली मंजिल पर रहते थे। ये मूलरूप से अनूपशहर, यूपी के रहने वाले थे। पिता अफसर ने बताया कि वह बच्चों की पढ़ाई और काम की तलाश में करीब 8 महीने पहले दिल्ली आए थे। वह लेबर का काम करते हैं। अब्बास आंगनबाड़ी में जाता था और साकिब सरकारी स्कूल में तीसरी क्लास का स्टूडेंट था। जबकि राजा चौथी क्लास का स्टूडेंट है। उनके घर के सामने ही नानी का घर है।
शनिवार शाम को बच्चे घर के बाहर से गुजर रहे थे। दुकान के अंदर अरशद सीएनजी सिलिंडर में कुछ काम कर रहा था। इसी दौरान तेज धमाका हुआ और गेट टूट कर गली में गिर गया। धमाके के साथ भयंकर आग लग गई। आग की चपेट में आने से तीनों बच्चे और कारीगर झुलस गया। सभी को अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान रविवार सुबह करीब 4:30 बजे अब्बास ने दम तोड़ दिया। वहीं, सुबह करीब 6 बजे साकिब की भी मौत हो गई।
‘साहब मेरा तो सब कुछ बर्बाद हो गया’
बच्चों की मौत की सूचना मिलते ही बेबस पिता अफसार टूट गए। बेटों का चेहरा देखकर दंपती फूट-फूट कर रोने लगे। आस-पड़ोस के रहने वाले भी अपने आंसू रोक नहीं पाए। रोते हुए दोनों बच्चों के माता-पिता ने कहा कि घटना में उनका पूरा परिवार उजड़ गया है। दो बच्चों की मौत हो गई और तीसरा जिंदगी और मौत से लड़ रहा है। अफसर ने बताया कि शादी के बाद से वह अनूपशहर में रह रहे थे। बच्चों के होने के बाद उनके भविष्य की चिंता उन्हें दिल्ली ले आई। चार महीने पहले उनकी पत्नी तीनों बच्चों के साथ सुदंर नगरी में आई।
यहां ससुर ने उन्हें किराए का मकान दिलवाया। चार महीने बाद वह भी दिल्ली आ गए। यहां वह प्लास्टिक छांटने का काम करते हैं। बच्चों की अच्छी पढ़ाई हो सके, इसलिए वह 12 घंटे तक काम कर रहे थे। घटना वाले दिन अब्बास ने उन्हें कहा था अब्बू घर जल्दी आना। किस्मत को कोसते हुए अफसर ने कहा कि मैं कितना बदकिस्मत हूं, जो अपने बच्चों के शवों को ले जा रहा हूं।
ऊपर वाला ऐसा दिन किसी को न दिखाए। अफसार ने कहा कि उनके बच्चों की मौत प्रशासन की लापरवाही के कारण हुई है। अगर प्रशासन सख्ती करता तो यहां घर-घर में गोदाम नहीं होते। आज उनके दोनों चिराग जिंदा होते। प्रशासन के कारण उनके घर के दोनों चिराग बुझ गए। वहीं, शबाना भी रोते-रोते कई बार बेहोश हो गईं।
आस-पड़ोस के लोगों की भी नम हुई आंखें
स्थानीय निवासी आकिल ने बताया कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि दोनों बच्चे अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह उन्हें रोजाना गली में खेलते हुए देखते थे। पड़ोस में रहने वाली अमीना बेगम ने बताया कि दोनों बच्चे बहुत प्यारे थे। दोनों उनके बच्चे के साथ ही गली में खेलते थे। यकीन नहीं हो रहा है कि जिस गली में बच्चों के खेलने कूदने का शोर सुनाई देता था, आज यहां मातम पसरा हुआ है।
घरों में 200 से ज्यादा गोदाम चल रहे!
वहीं, घटना के बाद स्थानीय लोगों में काफी रोष है। लोगों का कहना है कि सुंदर नगर में 200 से ज्यादा घरों में सीएनजी, बैटरी और अन्य गाड़ियों के पार्ट के गोदाम बने हुए हैं। आरोप है कि यह सब पुलिस के संरक्षण में चल रहा है।
कई बार शिकायत करने के बाद भी पुलिस और एसडीएम ने कोई ऐक्शन नहीं लिया। अगर समय रहते प्रशासन ने ऐक्शन लिया होता तो शायद आज यह घटना न होती। लोगों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि यहां यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं।
प्रशासन की लापरवाही की बात करें तो शिकायत करने पर यह लोग आरोपियों को शिकायत देने वाले के बारे में बता देते हैं। इसलिए डर के कारण अब कोई कुछ नहीं बोलता। वहीं, अकिल ने बताया कि गोदाम बनाने वाले लोगों ने रोड पर भी अतिक्रमण किया हुआ है। यह घटना घटी तो पुलिस ने पूरी रोड को खाली करवाया। आम दिनों में यहां से पैदल निकलना मुश्किल हो जाता है।