जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि आरोपी एनआईए मुख्यालय में अपने वकील से मुलाकात करने देने की अनुरोध याचिका को खारिज करने संबंधी निचली अदालत का कोई भी आदेश दिखाने में विफल रहा है।

हाई कोर्ट क्या बोला?
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि आरोपी राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनआईए) मुख्यालय में अपने वकील से मुलाकात करने देने की अनुरोध याचिका को खारिज करने संबंधी निचली अदालत का कोई भी आदेश दिखाने में विफल रहा है।
निश्चित प्रक्रिया का पालन किया जाना आवश्यकःHC
हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी कोई विशिष्ट व्यक्ति नहीं है और अदालत में एक निश्चित प्रक्रिया का पालन किया जाना आवश्यक है। अदालत ने यह टिप्पणी उस वक्त की, जब वानी के वकील ने दावा किया कि निचली अदालत ने अर्जी को मौखिक रूप से खारिज कर दिया था।
17 नवंबर को गिरफ्तार हुआ था वानी
बता दें कि एनआईए ने वानी को 10 नवंबर को लाल किला के निकट हुए विस्फोट के सिलसिले में 17 नवंबर को गिरफ्तार किया था। घटना में में 15 लोगों की जान चली गई थी। एक निचली अदालत ने 18 नवंबर को उसे 10 दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया था। NIA का आरोप है कि वानी ने आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी को तकनीकी मदद दी थी, जिसमें ड्रोन में बदलाव और रॉकेट असेंबली शामिल थी। एजेंसी का दावा है कि उसके फोन से डिलीट किए गए डेटा में आतंकी ट्रेनिंग वीडियो और बम बनाने के निर्देश मिले हैं, जिनका संबंध लश्कर-ए-तैयबा (LeT) प्रमुख मसूद अज़हर से जुड़ा है।
वकील से मिलने की अनुमति नहीं दी गई
वानी के वकील कौस्तुभ चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि NIA मुख्यालय में बिना कोर्ट आदेश के वकील से मिलने की अनुमति नहीं दी गई। उनका कहना है कि 18 नवंबर को जब वानी को 10 दिन की NIA हिरासत में भेजा गया, तब ट्रायल कोर्ट ने भी मौखिक रूप से ‘लीगल मुलाक़ात’ की अर्जी खारिज कर दी। वहीं NIA ने कोर्ट में तर्क दिया कि वानी ने अभी सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग नहीं किया है और सिर्फ मौखिक दावे के आधार पर नियमों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
