सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते हुई डीटीसी की बोर्ड मीटिंग में बंदा बहादुर मार्ग और सुखदेव विहार डिपो में कमर्शल गतिविधियों की अनुमति देने का निर्णय लिया गया। डीटीसी के अधिकारियों ने सरकार के समक्ष दावा किया है कि इसके जरिए हर साल करीब 2,600 करोड़ रुपये की इनकम होगी, जिसका इस्तेमाल परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जा सकेगा।
अधिकारियों के मुताबिक, इस प्रस्ताव में दोनों डिपो का आत्मनिर्भर परियोजनाओं के माध्यम से पुनर्विकास करने पर विचार किया गया है, जिसके लिए डीटीसी की ओर से किसी निवेश की जरूरत नहीं होगी। इस परियोजना के तहत मल्टीलेवल बस डिपो बनाकर उनके कुछ हिस्से का इस्तेमाल पार्किंग और एडवरटाइजिंग के लिए किया जा सकेगा। इससे जो रेवेन्यू हासिल होगा, उससे डीटीसी के बुनियादी ढांचे को सुधारने के साथ-साथ आवासीय कॉलोनियों को री-डिवेलप करने में भी मदद मिलेगी। अधिकारियों ने डिपो के साथ-साथ बस टर्मिनलों के वाणिज्यिक उपयोग को बढ़ाने पर भी जोर देने की बात कही है।
अधिकारियों ने बताया कि इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड (EPIL) द्वारा साझा किए गए अनुमान के अनुसार, बंदा बहादुर मार्ग डिपो की री-डिवेलपमेंट परियोजना से 1,858 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। वहीं, सुखदेव विहार डिपो से लगभग 758 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिलने की उम्मीद है। इस परियोजना पर काफी पहले से काम चल रहा था। कंपनी ने पिछले साल 8 अक्टूबर को इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया था, जिसके बाद 8 नवंबर को एक डीटेल्ड प्रोजेक्ट टाइमलाइन और इस तरह की पिछली परियोजनाओं की सूची पेश की गई थी।
प्रस्तावित टाइमलाइन जानिए
प्रस्तावित टाइमलाइन के अनुसार बंदा बहादुर मार्ग डिपो का निर्माण 28 महीने में पूरा होने की उम्मीद है, जबकि सुखदेव विहार डिपो के पुननिर्माण में 21 महीने लगेंगे। डीटीसी अपना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए डिपो में मोबाइल टावर लगाने, और मल्टी स्टोरी डिपो में सरकारी दफ्तरों के लिए किराए पर जगह देने जैसे नॉन उपायों के जरिए अपना टिकटिंग रेवेन्यू बढ़ाने के लिए भी लगातार प्रयास कर रही है।