दिल्ली मेट्रो अब अपने स्टेशनों से चलने वाले वाहनों को और सुरक्षित बनाने जा रही है। इसके लिए आईआईटी हैदराबाद के साथ समझौता हुआ है।

मेट्रो डिपो और साइट्स पर लगेगा खास नेवीगेशन
पहले चरण में इसे मेट्रो डिपो और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर ट्रायल के तौर पर लगाया जाएगा। सफल होने पर इसे स्टेशनों से चलने वाले वाहनों में भी इस्तेमाल किया जाएगा। इससे यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी और सड़क हादसों में कमी आएगी। इस तकनीक से स्मार्ट, सुरक्षित मोबिलिटी का रास्ता खुलेगा।
अगली पीढ़ी की गतिशीलता का समाधान
DMRC ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कियह समझौता ज्ञापन ऑटोनॉमस नेविगेशन के कार्यान्वयन में एक दूसरे की ताकत और जानकारी का लाभ उठाएगा जो कि प्रमुख महानगरों और टियर II और III शहरों में सार्वजनिक परिवहन में लास्ट माइल संपर्क के लिए एक सुरक्षित, स्मार्ट और अगली पीढ़ी की गतिशीलता समाधान है।
बिना नेविगेट करने और डेटा एकत्र करने में सक्षम
DMRC ने रिलीज में बताया कि TiHAN विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा साइबर भौतिक प्रणालियों में राष्ट्रीय मिशन द्वारा स्वायत्त नेविगेशन और डेटा अधिग्रहण प्रणालियों के विकास के लिए स्थापित एक केंद्र है जो जमीनी वाहनों, रोबोटों, मानव रहित हवाई वाहनों / ड्रोन या अन्य स्वायत्त प्लेटफार्मों को मानव हस्तक्षेप के बिना नेविगेट करने और डेटा एकत्र करने में सक्षम बनाता है।
आखिर क्या है स्वचालित नेविगेशन
IIT हैदराबाद के इनोवेशन हब ने इस तकनीकी पर एक गोल्फकार्ट तैयार किया है। यह बिना चालक के पूरे कैंपस में चलती है। इसकी खास बात यह है कि यह रास्ते में पड़ने वाले आबजेक्ट, ट्रैफिक व भीड़ के अनुसार अपना रास्त खुद बदल लेती है। अपना रफ्तार बढ़ाती और घटा भी सकती है।
