100 फीसदी मौत का खतरा रेबीज इंफेक्शन में होता है और एक बार वायरस नसों में पहुंच जाए तो फिर मौत का खतरा बना रहता है। 99 फीसदी संक्रमण का खतरा सिर्फ घाव को अच्छी तरह धोने से ही टल जाता है। घाव को तुरंत धोना जरूरी है।

डॉग बाइट की स्थिति में सबसे पहले क्या करें
डॉक्टर योगेश ने बताया कि रेबीज इंफेक्शन में 100 पसेंट मौत का खतरा रहता है एक बार अगर वायरस नसों में पहुंच जाए तो फिर मौत का खतरा रहता है। जितना लेट होता है खतरा उतना ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि डॉग बाइट की स्थिति में सबसे पहले बिना देरी किए 15 से 20 मिनट तक रनिंग वॉटर से धोना चाहिए। यह सबसे बेहतर उपाय है। इससे ही 99 परसेंट संक्रमण का खतरा टल जाता है। लेकिन, अधिकतर लोग मिर्च, हल्दी, चूना, टूथपेस्ट आदि लगा लेते है, जिससे इंफेक्शन और तेजी से फैलता है।
तुरंत वैक्सीनेशन कराना चाहिए
डॉक्टर ने कहा कि इसके बाद नजदीक के सेंटर या अस्पताल जाएं, जहां पर वैक्सीनेशन की सुविधा हो यहां पर तुरंत वैक्सीनेशन कराना चाहिए। इसमें मरीज को दो इंजेक्शन दी जाती है। पहला एंटी रेबीज वैक्सीन (ARV) और दूसरा एंटी रेबीज सीरम (ARS) दी जाती है। एआरवी एक वैक्सीन है, जो रेबीज वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। लेकिन इसमें सात से आठ दिन लगता है। इसलिए जहां पर बाइट के निशान होते है, वहां पर एआरएस दी जाती है, इसमें पहले से रेबीज के खिलाफ एंटीबॉडी होती है, जो तुरंत एक्टिव हो जाती है, वायरस के खिलाफ एक्टिव होकर उसे फैलने से रोकता है।
8 दिन होते हैं अहम
डॉक्टर योगेश ने बताया कि डॉग अगर पैर में काटता है तो संक्रमण फैलने में सात से आठ दिन लग सकता है। इसलिए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक ने सिफारिश की है कि बच्चे का वैक्सीनेशन कराना चाहिए. क्योकि बच्चे की हाइट कम होने की वजह से फेश में काटने का डर रहता है। वहीं, अगर किसी ने शराब पी हुई है और उसे डॉग बाइट हो जाए तो ऐसे इंसान मे संक्रमण चार गुणा ज्यादा तेजी से फैलता है। डॉक्टर योगेश ने कहा कि बचाव बेहतर उपाय है, आप अगर डॉग पाल रहे हैं तो आपको रेबीज का इंजेक्शन लगवाना चाहिए, अगर पालतू डॉग काट ले तो भी वैक्सीनेशन कराना चाहिए।
एमसीडी का दावा, 1.71 लाख से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स का हो चुका है स्टरलाइजेशन
MCD का पशु विभाग अप्रैल 2024 से लेकर जुलाई 2025 तक 1.71 लाख से अधिक स्ट्रीट डॉग का स्टरलाइजेशन कर चुकी है। MCD के 250 वॉर्डों में से 57 वॉर्ड ऐसे है जहां स्ट्रीट डॉग स्टरलाइजेशन का 80 पसेंट काम पूरा हो चुका है। MCD का कहना है कि स्ट्रीट डॉग का स्टरलाइजेशन करते समय उन्हें एंटी रैबीज की वैक्सीन भी लगाई जाती है। MCD यह काम 20 स्टरलाइजेशन सेंटरों के माध्यम से अंजाम दे रही है। इन सेंटर्स को अलग अलग 13 NGO द्वारा चलाया जा रहा है।
डॉग बाइट के मामलों में दिनोंदिन वृद्धि
MCD के पशु विभाग का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि दिल्ली में डॉग बाइट के मामलों में दिनोंदिन वृद्धि होती जा रही है। विभाग का कहना हैं कि कई बार बीमारी या अन्य दूसरे कारणों से स्ट्रीट डॉग ज्यादा अग्रेसिव हो जाता है। बच्चे देने वाली फीमेल डॉग का स्वभाव भी एकदम बदल जाता है। इसलिए जो भी उसके बच्चों के पास जाता है, वह उसे काट लेती है।
अगर किसी डॉग में रेबीज के लक्षण तो…
पशु विभाग स्ट्रीट डॉग का एनीमल वर्ष कंट्रोल रूल्स 2023 के अनुसार ऐसे डॉग के खिलाफ अलग अलग तरह से कार्रवाई करता है। कटखने या बीमार स्ट्रीट डॉग को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह रखने का कोई प्रावधान ही नहीं है। किसी भी डॉग को 10 दिन से ज्यादा दिनों के लिए आब्जर्वेशन सेंटर में नहीं रखा जा सकता।
अगर किसी डॉग में रेबीज के लक्षण है और उसे सेंटर में रखा जाता है तो 10 दिन में ही उसकी मौत हो जाएगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 मई 2025 को दिए अपने आर्डर में चीफ सेक्रेटरी को जरूरी डायरेक्शन दी थी। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए चीफ सेक्रेटरी पशु विभाग के साथ कई मीटिंग कर चुके हैं। एनीमल बर्थ कंट्रोल रूल्स में बदलाव करने की पावर चीफ सेक्रेटरी को भी नहीं है।