साइबर ठगों ने नया तरीका अपनाया है। वे सामान की डिलीवरी रुकने का झांसा देकर दो रुपये जैसी छोटी रकम मांगते हैं। यह रकम मिलते ही वे बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं।
हाइलाइट्स
- साइबर ठगों ने ठगी करने का एक ऐसा तरीक अपनाया है।
- ठग आपसे इतना छोटा अमाउंट मांगेंगे कि वो देने से पहले आप जरा भी नहीं सोचेंगे।
- अगर उन्हें यह अमाउंट दे दिया तो फिर शायद ही आपके बैंक अकाउंट में कोई रकम बचे।

नई दिल्ली से सामने केस
जब तक आपको ठगी के बारे में पता चलेगा, तब तक वह आपका बैंक अकाउंट खाली कर चुके होंगे। हाल ही में नई दिल्ली में रहने वाले शख्स के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। फिलहाल उनकी शिकायत पर नई दिल्ली जिले की साइबर पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
क्या था मामला
पुलिस सूत्र ने बताया कि 50 वर्षीय पीड़ित मूलरूप से ओडिशा के रहने वाले हैं। वह पिछले 20 साल से पृथवीराज राज रोड पर स्थित कोठी में काम करते हैं और वहीं रहते हैं। 6 अक्टूबर को उन्होंने ओडिशा में रहने वाले अपनी पत्नी के लिए कुछ दवाइयां स्पीडपोस्ट से भेजी थीं।
रुका हुआ है कुरियर
11 अक्टूबर को पत्नी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि दवाईं अभी तक नहीं पहुंची हैं। इसके बाद पीड़ित ने गूगल पर स्पीड पोस्ट ट्रैकिंग सर्च किया। वहां नंबर मिला तो उस पर कॉल की। कॉलर ने खुद को स्पीड पोस्ट का कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव बताया। साथ ही ट्रैकिंग नंबर पूछा। इसके बाद बताया कि आपका कूरियर नागपुर में रुका हुआ है।
कुरियर के लिए मांगे दो रुपए
आरोपी ने दावा किया कि आपको दो रुपये की पेमेंट करनी होगी, जिसके बाद आपका काम जल्दी हो जाएगा। पीड़ित आरोपी के जाले में फंस गए और आरोपी ने जो पेमेंट लिंक भेजा था, उस पर दो रुपये की पेमेंट कर दी। कुछ देर बाद वो दो रुपये भी वापस उनके अकाउंट में आ गए।
खाते से उड़ गए इतने
लेकिन 14 अक्टूबर की शाम को अकाउंट से 34998, 34999 और 29000 की तीन ट्रांजैक्शन हो गईं। इसके बाद पीड़ित ने नैशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई, जिस पर अब केस दर्ज किया गया।
पेमेंट लिंक से हुआ खेल
जांच में जुटे पुलिस सूत्र का कहना है कि ऐसी साइबर ठगी में आरोपी जो पेमेंट लिंक भेजते हैं, उसी के जरिए सारा खेल होता है। जब पीड़ित ने उनके कहने पर दो रुपये की पेमेंट की तो अनजाने में उन्होंने अपने फोन का एक्सेस ठग को दे दिया। इसके बाद ठग ने उनका पासवर्ड आदि सब देख लिया। बस फिर क्या था, उसने उनके बैंक अकाउंट में सेंध लगा दी।
एक्सपर्ट की राय
कभी भी किसी संस्थान आदि का नंबर लें तो उसकी ऑफिशियल वेबसाइट से ही लें। गूगल पर ऐसे संस्थानों की असली दिखने वाली जैसे कई फर्जी वेबसाइट होती हैं, जो ठगों ने बनाईं होती हैं। साथ ही किसी के भेजे लिंक, एपीके फाइल पर क्लिक ना करें। ना ही किसी के कहने पर अपने फोन में कोई ऐप डाउनलोड करें।
