Chain Snatching In Delhi: दिल्ली में झपटमारी की घटनाएं चिंताजनक रूप से बढ़ रही हैं, जहाँ इस साल औसतन हर दिन 14 मामले सामने आए हैं। वहीं लोकसभा सदस्य आर सुधा भी चाणक्यपुरी में झपटमारी का शिकार हुईं, जिससे महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।

लोकसभा सदस्य आर सुधा को सोमवार सुबह तब मामूली चोटें आईं जब यहां चाणक्यपुरी के राजनयिक एन्क्लेव में अज्ञात व्यक्तियों ने कथित तौर पर उनकी सोने की चेन झपट ली। दस समय वह सुबह की सैर पर निकली थीं।
कांग्रेस सांसद ने गृह मंत्रालय को लिखा लेटर
इस घटना ने सार्वजनिक सुरक्षा, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं, जबकि दिल्ली पुलिस अब भी उन झपटमारों से जूझ रही है जो चोरी के वाहनों का इस्तेमाल करते हैं और पकड़े जाने से बचने के लिए उन क्षेत्रों में वारदात को अंजाम देते हैं जो सीसीटीवी कैमरों की जद से बाहर होते हैं। तमिलनाडु के मयिलाडुतुरै से सांसद सुधा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस घटना के बारे में पत्र लिखकर कहा कि इस घटना से वह सदमे में हैं।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि यदि कोई महिला भारत की राष्ट्रीय राजधानी के इस उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में सुरक्षित रूप से नहीं घूम सकती, तो वह और कहां सुरक्षित महसूस कर सकती है?
पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल 30 जून तक दिल्ली में झपटमारी के कुल 2,503 मामले दर्ज किए गए। 2024 में इसी अवधि के दौरान 3,381 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2023 में 3,865 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि ये आंकड़े मामलों की संख्या में गिरावट दर्शाते हैं, लेकिन यह समस्या की निरंतर प्रकृति को भी दर्शाते हैं।
इस बीच, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि झपटमार आमतौर पर सुनियोजित तरीका अपनाते हैं, जिसमें चोरी किए गए या अपंजीकृत दोपहिया वाहनों का उपयोग शामिल होता है और वे अपराध को तेजी से अंजाम देते हैं तथा पकड़े जाने से बच जाते हैं।
अपराधी पहले लक्ष्य की करते हैं पहचान
ये अपराधी किसी लक्ष्य की पहचान करते हैं, जो अकसर अकेली चलने वाली महिलाएं या बुजुर्ग होते हैं। इसके बाद वे कुछ क्षणों में वारदात को अंजाम देते हुए भाग जाते हैं और फरार होने के लिए ऐसे स्थानों का इस्तेमाल करते हैं, जहां रोशनी कम हो, कम भीड़भाड़ हो या वे सीसीटीवी कैमरों के दायरे से बाहर हों।
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कई सीसीटीवी कैमरे या तो काम नहीं कर रहे होते या फिर नंबर प्लेट की साफ़ तस्वीर नहीं ले पाते।’’
गाड़ी छोड़कर भाग निकलते हैं झपटमार
उन्होंने बताया कि कई इलाकों में, झपटमार जानबूझकर ‘ब्लाइंड स्पॉट’ का इस्तेमाल करते हैं और कुछ मामलों में, वे जांचकर्ताओं को गुमराह करने के लिए हेलमेट या जैकेट भी उतार देते हैं तथा गाड़ी छोड़कर भाग जाते हैं।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये अपराधी इतनी तेज़ी से वारदात को अंजाम देते हैं कि पीड़ित उन्हें या जिस गाड़ी से जुर्म किया गया होता है, उसे याद नहीं रख पाते हैं, इसलिए आरोपियों की पहचान करना भी मुश्किल होता है।