दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में सर्जरी के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ विभागों में यह वेटिंग दो महीने तक है। कार्डियो थोरेसिक और न्यूरोसर्जरी में दो साल तक का इंतजार है।

सदन में बताया गया कि AIIMS दिल्ली में जनरल सर्जरी में यह वेटिंग करीब 2 महीने की है, जबकि गायनी में कैंसर जैसे गंभीर मामलों में भी मरीजों को 3 महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है। इसके अलावे गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल सर्जरी में गंभीर मामलों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन सामान्य वेटिंग 3 से 6 महीने तक हो सकती है।
लंबे इंतजार से मरीजों को परेशानी
जवाब में सबसे गंभीर स्थिति कार्डियो थोरेसिक-वैस्कुलर सर्जरी (CTVS) और न्यूरोसर्जरी विभाग में देखने को मिल रही है, जहां रेग्युलर मामलों में मरीजों को ऑपरेशन के लिए 2 साल तक इंतजार करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि फिलहाल CTVS सर्जरी के लिए 690 मरीज, न्यूरोसर्जरी के लिए 1324 मरीज, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के लिए 305 मरीज और कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के लिए 28 मरीज ऑपरेशन की वेटिंग में हैं।
हार्ट के मरीजों को कुछ राहत
इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को कुछ विभागों में बिना किसी इंतजार के सर्जरी की सुविधा दी जा रही है। जारी रिपोर्ट के अनुसार आई, ईएनटी, पीडियाट्रिक, बर्न्स एंड प्लास्टिक, यूरोलॉजी और डेंटल विभाग में गंभीर मरीजों को तुरंत सर्जरी मिल रही है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि हार्ट की बीमारियों से जूझ रहे किसी भी मरीज को एक साल से ज्यादा बाद की सर्जरी की तारीख नहीं दी गई है।
डोनर की उपलब्धता पर ट्रांसप्लांट
इसी तरह, जिन मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है और उनके पास डोनर मौजूद हैं, उन्हें भी एक साल से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ रहा है। रिसेटेबल लिवर डिजीज के मामलों में सर्जरी के लिए कोई वेटिंग नहीं है, जबकि लिवर ट्रांसप्लांट पूरी तरह डोनर की उपलब्धता पर निर्भर करता है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यह स्थिति देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे पर बढ़ते दबाव को दर्शाती है, जहां गंभीर मामलों में तत्काल राहत तो मिल रही है लेकिन नियमित मरीजों को अब भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
एम्स में सर्जरी में वेटिंग क्यों?
एम्स देश का सबसे बड़ा, सबसे भरोसेमंद सरकारी अस्पताल है। इसलिए यहां दिल्ली समेत पूरे देश से मरीज आते हैं, जिससे ओपीडी, रूटीन जांच से लेकर सर्जरी तक पर बहुत ज्यादा बोझ रहता है। भले एम्स के अंदर सुविधाओं का इजाफा हो रहा है, लेकिन जो बोझ है उसके आगे यह कम पड़ रहा है। एम्स में सर्जरी में वेटिंग सिर्फ अस्पताल का नहीं बल्कि पूरे हेल्थ सिस्टम की असंतुलित इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनेजमेंट का नतीजा है। वर्तमान में बेहतर मेडिकल केयर एम्स और ऐसे गिने चुने संस्थानों तक ही सीमित है। देश में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की संख्या भी सीमित है।