दिल्ली में जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल बनाते हुए, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) और जमीन की स्टेटस रिपोर्ट (LSR) की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इस सुधार से कागजी कार्रवाई कम होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे खरीदार स्वयं जमीन की स्थिति जांच सकेंगे। कुछ विशेष कानूनी मामलों में ही NOC की आवश्यकता होगी।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बदलाव की जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली के लोगों का जीवन सुगम और सुविधाजनक बनाने के लिए हमारी सरकार पिछले पांच महीने से लगातार काम कर रही है। इस दौरान यह देखा गया है कि आम जनता को पटवारी, तहसीलदार या एसडीएम-डीएम ऑफिस में राजस्व या जमीन से जुड़े मामलों में असुविधा का सामना करना पड़ता है और जहां जरूरत नहीं है, वहां भी उन्हें NOC लेने के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ता है। अब ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जमीन किसके पास, खुद जांच सकेंगे खरीदारः सब-रजिस्ट्रार अब केवल भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत तय नियमों और शर्तों के आधार पर ही दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन करेंगे। इस बदलाव को प्रभावी करने के लिए पारदर्शिता और सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी गई है। जैसे इसमें बायर बिवेयर क्लॉज (खरीदार सावधान रहे) लागू किया जाएगा। इससे खरीदार जमीन की स्थिति और स्वामित्व की जांच खुद कर यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उसमें किसी प्रकार की कोई कानूनी अड़चन या दिक्कत तो नहीं है।
सिर्फ यहां होगी NOC की जरूरत
दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि केवल कुछ विशेष कानूनी मामलों जैसे दिल्ली लैंड ट्रांसफर एक्ट, 1972 की धारा 8 और ईस्ट पंजाब होल्डिंग्स एक्ट, 1948 की धारा 30 में ही NOC और LSR की जरूरत होगी।
कितना फायदा होगा इस पहल से?
दिल्ली में जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते है। कहने को पूरा सिस्टम ऑनलाइन है. इसके बावजूद न केवल सरकारी दफ्तरों के धक्के खाने पड़ते है, बल्कि कई बार रिश्वत भी देनी पड़ती है। आमतौर पर पेपरों में कुछ कमियां निकाल कर ही मामले को अटकाने की कोशिश की जाती है। LG वी. के. सक्सेना भी कई बार गैर-जरूरी कागजी कार्रवाई की जरूरत को खत्म करने की बात कह चुके है। केंद्र सरकार भी गैर-जरूरी कानूनों में बदलाव को बढ़ावा दे रही है। उसी राह पर चलते हुए दिल्ली सरकार रजिस्ट्री के लिए NOC, LSR की जरूरत खत्म करके रजिस्ट्री की प्रक्रिया आसान बनाने की पहल की है।