मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद सिख दंगा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने और आरोपियों को सजा दिलाने का काम शुरू किया। उन्हीं के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली सरकार पीड़ित परिवारों के सम्मानजनक जीवन के लिए उनके परिजनों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र वितरित कर रही है।
सीएम बोलीं- यह 40 वर्षों का संघर्ष
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि न्याय है, जो चालीस सालों के संघर्ष के बाद मिला है। हम अतीत को बदल तो नहीं सकते, लेकिन इन लोगों का वर्तमान जरूर बेहतर कर सकते हैं। आज जब हम 125 परिवारों के सदस्यों को नियुक्तियां देने में सक्षम हुए हैं और उनमें से 19 लोग अपनी सेवाएं शुरू कर रहे हैं, तो यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि कश्मीरी विस्थापित परिवार, जो सालों से अपने ही देश में बेघर हैं, उनकी भी पहले की सरकारों ने लंबे समय तक अनदेखी की है, लेकिन हमारी सरकार ने उन्हें भी हरसंभव सहायता प्रदान करने का संकल्प लिया है। ऐसे परिवारों को सरकार की लंबित सहायता और अनुदान मिलना शुरू हो चुका है।
कोविड महामारी में जिन परिवारों ने अपने सदस्य खोए और उन्हें अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला, ऐसे लोगों के लिए भी सरकार ने एक विशेष समिति गठित की है, ताकि ऐसे पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता दी जा सके। इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेलों में बंद रहे लोगों को भी दिल्ली सरकार की तरफ से सम्मान राशि दी जाएगी।
निजी तौर पर मेरे लिए भावुक क्षणकैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह निजी तौर पर मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमारी सरकार आखिरकार वह दे पाई, जो इन पीड़ित परिवारों को सालों पहले मिल जाना चाहिए था। यह ऐतिहासिक कदम उन पूर्ववर्ती सरकारों की संवेदनहीनता पर भी एक करारा जवाब है, जिन्होंने बार-बार अपील करने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया।